बादल आए झूम के

माँझी है उस पार रे। नाव पड़ी मँझधार रे।। शाला में अवकाश है। सुंदर सावन मास है ...

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आरसी प्रसाद सिंह

बादल आए झूम के।
आसमान में घूम के।
बिजली चमकी चम्म-चम।
पानी बरसा झम्म-झम।।
हवा चली है जोर से।
नाचे जन-मन मोर-से।
फिसला पाँव अरर-धम।
चारों खाने चित्त हम।।
मेघ गरजते घर्र-घों।
मेढक गाते टर्र-टों।
माँझी है उस पार रे।
नाव पड़ी मँझधार रे।।
शाला में अवकाश है।
सुंदर सावन मास है।
हाट-बाट सब बंद है।
अच्छा जी आनंद है।।
पंछी भीगे पंख ले।
ढूँढ़ रहे हैं घोंसले।
नद-नाले नाद पुकारते।।
हिरन चले मैदान से।
गीदड़ निकले माँद से।
गया सिपाही फौज में।
मछली रानी मौज में।।

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