दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने
क्यों है ऐसा उदास क्या जाने
कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना
इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने
जानते जानते ही जानेगा
मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने
तुम न पाओगे सादा दिल मुझसा
जो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने
जानते जानते ही जानेगा मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने
दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने
क्यों है ऐसा उदास क्या जाने
कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना
इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने
जानते जानते ही जानेगा
मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने
तुम न पाओगे सादा दिल मुझसा
जो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने
केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...
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