रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप से तुम तुम से तू होने लगी चाहिए पैग़ामबर दोने तरफ़ लुत्फ़ क्या...
आरजू है वफ़ा करे कोई जी न चाहे तो क्या करे कोई गर मर्ज़ हो दवा करे कोई मरने वाले का क्या करे कोई...
इस अदा से वो वफ़ा करते हैं कोई जाने कि वफ़ा करते हैं हमको छोड़ोगे तो पछताओगे हँसने वालों से हँसा...
दर्द बन के दिल में आना , कोई तुम से सीख जाए जान-ए-आशिक़ हो के जाना , कोई तुम से सीख जाए हमसुख़न पर...
ये जो है हुक़्म मेरे पास न आए कोई इसलिए रूठ रहे हैं कि मनाए कोई ये न पूछो कि ग़मे-हिज्र में कैसी...
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना...
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया हंसा हंसा के शब-ए-वस्ल अश्क-बार...
दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने क्यों है ऐसा उदास क्या जाने कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना ...
न रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को...
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं मुंतज़िर हैं दमे रुख़सत...
केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...
हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...