यह कैसी चुप है
कि जिसमें पैरों की आहट शामिल है
कोई चुपके से आया है --
चुप से टूटा हुआ --
चुप का टुकड़ा --
किरण से टूटा हुआ
किरण का कोई टुकड़ा
यह एक कोई "'वह'' है
जो बहुत बार बुलाने पर भी
नही आया था |
और अब मैं अकेली नहीं
मैं आप अपने संग खड़ी हूँ
शीशे की सुराही में नज़रों की शराब भरी है --
और हम दोनों जाम पी रहे हैं
वह टोस्ट दे रहा उन लफ्जों के
जो सिर्फ़ छाती में उगते हैं |
यह अर्थों का जश्न है ---
मैं हूँ ,वह है ..
और शीशे की सुराही में --
नज़रों की शराब है …
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