न रवा कहिये न सज़ा कहिये

दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये ...

न रवा कहिये न सज़ा कहिये
कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये

दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़
इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये

वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं
मानता ही न था ये क्या कहिये

आ गई आप को मसिहाई
मरने वालो को मर्हबा कहिये

होश उड़ने लगे रक़ीबों के
"दाग" को और बेवफ़ा कहिये

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