मौन और शब्द

सुना, मेरा वह बोलना दुनियाँ में काव्य कहलाया था ...

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हरिवंशराय बच्चन

एक दिन मैंने

मौन में शब्द को धँसाया था

और एक गहरी पीड़ा,

एक गहरे आनंद में,

सन्निपात-ग्रस्त सा,

विवश कुछ बोला था;

सुना, मेरा वह बोलना

दुनियाँ में काव्य कहलाया था।

 

आज शब्द में मौन को धँसाता हूँ,

अब न पीड़ा है न आनंद है

विस्मरण के सिन्धु में

डूबता सा जाता हूँ,

देखूँ,

तह तक

पहुँचने तक,

यदि पहुँचता भी हूँ, 

क्या पाता हूँ।

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