जीवन दीप

किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल? किसकि वर्त्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल?

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महादेवी वर्मा

- - इन उत्ताल तरंगों पर सह झंझा के आघात, जलना ही रहस्य है बुझना -है नैसर्गिक बात ... - -

 

किन उपकरणों का दीपक,

किसका जलता है तेल?

किसकि वर्त्ति, कौन करता

इसका ज्वाला से मेल?

 

शून्य काल के पुलिनों पर-

जाकर चुपके से मौन,

इसे बहा जाता लहरों में

वह रहस्यमय कौन?

 

कुहरे सा धुँधला भविष्य है,

है अतीत तम घोर ;

कौन बता देगा जाता यह

किस असीम की ओर?

 

पावस की निशि में जुगनू का-

ज्यों आलोक-प्रसार।

इस आभा में लगता तम का

और गहन विस्तार।

 

इन उत्ताल तरंगों पर सह-

झंझा के आघात,

जलना ही रहस्य है बुझना -

है नैसर्गिक बात !

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