तुम्हारा चित्र

ये टिमटिम-पंथी ये तारे पहरन मोती जड़े तुम्हारे विस्तृत! तुम जीते हम हारे ...

Makhanlal chaturvedi 600x350.jpg

माखनलाल चतुर्वेदी

मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया
कुछ नीले कुछ श्वेत गगन पर 
हरे-हरे घन श्यामल वन पर
द्रुत असीम उद्दण्ड पवन पर 
चुम्बन आज पवित्र बन गया,
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।

तुम आए, बोले, तुम खेले
दिवस-रात्रि बांहों पर झेले
साँसों में तूफान सकेले
जो ऊगा वह मित्र बन गया,
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।

ये टिमटिम-पंथी ये तारे
पहरन मोती जड़े तुम्हारे
विस्तृत! तुम जीते हम हारे!
चाँद साथ सौमित्र बन गया।
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।

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