आज जाने की ज़िद न करो

आज जाने की ज़िद न करो यूँ ही पहलू में बैठे रहो..

 

आज जाने की ज़िद न करो
यूँ ही पहलू में बैठे रहो
हाय मर जायेंगे
हम तो लुट जायेंगे
ऐसी बातें किया न करो

तुम्ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें
जान जाती है जब, उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जाँ
बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की...

वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चंद घड़ियाँ यही है जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरी जान-ए-जाँ
उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने की...

कितना मासूम रंगीन है ये समां
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ
रोक लो आज की रात को
आज जाने की ज़िद न करो

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