जब हमारे साथी-संगी हमसे छूट जाएँ जब हमारे हौसलों को दर्द लूट जाएँ जब हमारे आँसुओं के मेघ टूट जाएँ...
याद आते हैं फिर बहुत वे दिन जो बड़ी मुश्किलों से बीते थे ! शाम अक्सर ही ठहर...
सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात मेरे बहुत चाहने पर...
सौ बातों की एक बात है । रोज़ सवेरे रवि आता है दुनिया को दिन दे जाता है लेकिन जब तम इसे...
डाल के रंग-बिरंगे फूल राह के दुबले-पतले शूल मुझे लगते सब एक समान! न मैंने...
केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...
हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...