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केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात'

केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात'

केदारनाथ मिश्र 'प्रभात' का जन्म बिहार के आरा जिले में हुआ। उच्च शिक्षा पटना में हुई। बिहार राज्य के पुलिस विभाग में सेवा की। इनके मुख्य गीत-संग्रह हैं- शुभ्रा, श्वेत नील, कलापिनी, कम्पन, ॠतम्भरा तथा बैठो मेरे पास। अंतिम दो संग्रह बिहार तथा उ.प्र. सरकार द्वारा पुरस्कृत हुए। कैकेयी, तप्त गृह तथा कर्ण इनके प्रबंध-काव्य हैं। इन्होंने प्रचुर बाल साहित्य भी लिखा।

इस लेखक की रचनाएँ

मेरे मन! तू दीपक-सा जल

जल-जल कर उज्ज्वल कर प्रतिपल प्रिय का उत्सव-गेह जीवन तेरे लिये खड़ा है लेकर नीरव स्नेह प्रथम-किरण...

करुणा की छाया न करो

जलने दो जीवन को इस पर करुणा की छाया न करो! इन असंख्य-घावों पर नाहक अमृत बरसाया न करो! फिर-फिर उस...

हिमालय

अरे हिमालय! आज गरज तू बनकर विद्रोही विकराल! लाल लहू के ललित तिलक से शोभित करके अपना भाल। विश्व-विशाल-वीर...

राह में क्षण सृजन का कहीं है पड़ा

रात के खेत का स्वर सितारों-जड़ा बीचियों में छलकती हुई झीलके दीप सौ-सौ लिए चल रही है हवा बांध ऊंचाइयां...

तुम्हारी हंसी से धुली घाटियों में

तुम्हारी हंसी से धुली घाटियों में तिमिर के प्रलय का नया अर्थ होगा अनल-सा लहकते हुए तरु-शिखा पर किरण...

एक क्षण तुम रुको

जिंदगी को लिए मैं खड़ा ओस में एक क्षण तुम रुको, रोक दो कारवां तुम समय हो, सदा भागते ही रहे आज तक...

नीरव त्योहार

बजती बीन कहीं कोई जीवन जिसकी झंकार है . हँसी-रुदन में आँक रहा हूँ चित्र काल के छुप के  खेल रहा हूँ...

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केशर की, कलि की पिचकारी

केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

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अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...

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भारत महिमा

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...

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