भाईचारा

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हम सब सुमन एक उपवन के

हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी जिसकी मिट्टी में जन्मे हम मिली एक ही धूप हमें है सींचे गए एक जल से हम। पले हुए हैं झूल-झूल कर पलनों में हम एक पवन के हम सब सुमन एक उपवन के।।   रंग रंग के रूप हमारे अलग-अलग है क्यारी-क्यारी लेकिन हम सबसे मिलकर ही इस उपवन की शोभा सारी एक हमारा माली हम सब रहते नीचे एक गगन के हम सब सुमन एक उपवन के।।   सूरज एक हमारा, जिसकी किरणें उसकी कली खिलातीं, एक हमारा...

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हम दीवानों की क्या हस्ती

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले   आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले   किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले   दो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ रोए छक कर सुख-दुःख के घूँटों को, हम एक भाव से पिए चले   हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वछन्द लुटाकर...

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केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...

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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

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