तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग-जाग मैं ज्वाल बनूँ, तू बन जा हहराती गँगा, मैं झेलम बेहाल बनूँ, आज बसन्ती चोला तेरा, मैं भी सज लूँ लाल बनूँ, तू भगिनी बन क्रान्ति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ, यहाँ न कोई राधारानी, वृन्दावन, बंशीवाला, ...तू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरे वाला । बहन प्रेम का पुतला हूँ मैं, तू ममता की गोद बनी, मेरा जीवन क्रीड़ा-कौतुक तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी, मैं भाई फूलों में भूला, मेरी बहन विनोद बनी, भाई की गति, मति भगिनी...
केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...
हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...