राम

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राम की शक्ति पूजा

रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर, प्रतिपल - परिवर्तित - व्यूह - भेद कौशल समूह राक्षस - विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध - कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि - राजीवनयन - हतलक्ष्य - बाण, लोहितलोचन - रावण मदमोचन - महीयान, राघव-लाघव - रावण - वारण - गत - युग्म - प्रहर, उद्धत - लंकापति मर्दित - कपि - दल-बल - विस्तर, अनिमेष - राम-विश्वजिद्दिव्य -...

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शक्ति और क्षमा

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ, कब हारा?   क्षमाशील हो रिपु-समक्ष तुम हुये विनत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही।   अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है।   क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषरहित, विनीत, सरल हो।   तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिन्धु किनारे,...

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