वंदना

प्राण का चन्दन तुम्हारे किस चरण तल पर लगाऊँ? ...

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सोहनलाल द्विवेदी

वंदिनी तव वंदना में 
कौन सा मैं गीत गाऊँ?  

स्वर उठे मेरा गगन पर, 
बने गुंजित ध्वनित मन पर, 
कोटि कण्ठों में तुम्हारी 
वेदना कैसे बजाऊँ?  

फिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ, 
बनें शीतल जलन-घड़ियाँ, 
प्राण का चन्दन तुम्हारे 
किस चरण तल पर लगाऊँ?  

धूलि लुiण्ठत हो न अलकें, 
खिलें पा नवज्योति पलकें, 
दुर्दिनों में भाग्य की 
मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ?  

तुम उठो माँ! पा नवल बल, 
दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल! 
इस निबिड़ नीरव निशा में 
किस उषा की रश्मि लाऊँ?  

वन्दिनी तव वन्दना में 
कौन सा मैं गीत गाऊँ?

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