मम्मी पर है ऐसा जूता, जिसको लाया इब्न बतूता! यह जूता परियों का जूता, यह जूता मणियों का जूता, मोती...
नए साल में प्यार लिखा है तुम भी लिखना प्यार प्रकृति का शिल्प काव्यमय ढाई आखर प्यार सृष्टि पयार्य...
नानी-नानी! कहो कहानी, समय नहीं है, बोली नानी। फिर मैंने पापा को परखा, बोले-समय नहीं है बरखा। भैया...
अब तक हमने देखी बाढ़, लेकिन देखा नहीं पहाड़! सुना वहाँ परियाँ रहती हैं, कल-कल-कल नदियाँ बहती हैं।...
यह कैसी लाचारी है, बस्ता मुझसे भारी है! कंधा रोज भड़कता है, जाने क्या-क्या बकता है, लाइलाज बीमारी...
वक़्त ने बदली है सिर्फ़ तन की पोशाक मन की ख़बरें तो आज भी छप रही हैं पुरानी मशीन...
केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...
हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...