अश्वघोष

अश्वघोष

जन्मः २० जुलाई १९४१, रन्हेरा बुलंदशहर उ.प्र. में।
शिक्षाः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए., पी-एच.डी.
प्रकाशित कृतियाँ
शोध - हिंदी कहानीः सामाजिक आधारभूमि
खंड काव्य - ज्योतिचक्र, पहला कौंतेय
कविता संग्रह - १. तूफ़ान में जलपान, २. आस्था और उपस्थिति, ३. अम्मा का ख़त, ४. हवाः एक आवारा लड़की
५. माँ, दहशत और घोड़े, ६. जेवों में डर, ७. सपाट धरती की फसलें, ८. गई सदी के स्पर्श
बाल काव्य-संकलनः डुमक-डुमक-डुम, तीन तिलंगे, राजा हाथी, बाइस्कोप निराला
उत्तर-साक्षरता साहित्यः धन्य-धन्य तुम नारी, अच्छा है एक दीप जलाएँ, स्वास्थ्य-रक्षा की कथा, धरती माँ की दुःख, किस्सा भोला का, हमारा पर्यावरण।
पुरस्कार- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, उ.प्र. प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, लखनऊ तथा संभावना संस्थान मथुरा द्वारा पुरस्कृत।
सम्मान- 'समन्वय', सहारनपुर तथा भारतीय बाल-कल्याण संस्थान कानपुर द्वारा सम्मानित।
पाठ्यक्रम में संकलित - स्वामी रामतीर्थ मराठवाड़ा वि.वि., नांदेड में बी.ए. प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में 'अम्मा का खत' कविता संकलित।
संपर्क - ७, अलकनंदा एन्क्लेव, जनरल महादेव सिंह रोड, देहरादून- २४८००१, उत्तरांचल

इस लेखक की रचनाएँ

मणियों का जूता

मम्मी पर है ऐसा जूता, जिसको लाया इब्न बतूता! यह जूता परियों का जूता, यह जूता मणियों का जूता, मोती...

नए साल में

नए साल में प्यार लिखा है तुम भी लिखना प्यार प्रकृति का शिल्प काव्यमय ढाई आखर प्यार सृष्टि पयार्य...

समय नहीं है

नानी-नानी! कहो कहानी, समय नहीं है, बोली नानी। फिर मैंने पापा को परखा, बोले-समय नहीं है बरखा। भैया...

देखा नहीं पहाड़

अब तक हमने देखी बाढ़, लेकिन देखा नहीं पहाड़! सुना वहाँ परियाँ रहती हैं, कल-कल-कल नदियाँ बहती हैं।...

बस्ता मुझसे भारी है

यह कैसी लाचारी है, बस्ता मुझसे भारी है! कंधा रोज भड़कता है, जाने क्या-क्या बकता है, लाइलाज बीमारी...

आज भी

वक़्त ने बदली है सिर्फ़ तन की पोशाक मन की ख़बरें तो आज भी छप रही हैं                    पुरानी मशीन...

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केशर की, कलि की पिचकारी

केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

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अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...

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भारत महिमा

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...

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