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द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (१ दिसंबर १९१६ - २९ अगस्त १९९८) हिन्दी भाषा के प्रमुख कवि और लेखक थे। शिक्षा और कविता को समर्पित द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन बहुत ही चित्ताकर्षक और रोचक है। उन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं। इसके अतिरिक्त पांच पुस्तकें नवसाक्षरों के लिए लिखीं। उन्होंने अनेक काव्य संग्रह और खंड काव्यों की भी रचना की। बच्चों के कवि सम्मेलन का प्रारंभ और प्रवर्तन करने वालों के रूप में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का योगदान अविस्मरणीय है। वह उप्र के शिक्षा सचिव थे। उन्होंने शिक्षा के व्यापक प्रसार और स्तर के उन्नयन के लिए अनथक प्रयास किए।


 

इस लेखक की रचनाएँ

हम सब सुमन एक उपवन के

हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी जिसकी मिट्टी में जन्मे हम मिली एक ही धूप हमें है ...

कौन सिखाता है चिड़ियों को

कौन सिखाता है चिड़ियों को चीं-चीं, चीं-चीं करना?  कौन सिखाता फुदक-फुदक कर उनको चलना फिरना?   ...

मेरी वीणा में स्वर भर दो

मेरी वीणा में स्वर भर दो!   मैं माँग रहा कुछ और नहीं केवल जीवन की साध यही, इसको पाने ही जीवन...

गीत बनकर मैं मिलूँ

गीत बनकर मैं मिलूँ यदि रागिनी बन आ सको तुम।   सो रहा है दिन, गगन की गोद में रजनी जगी है, झलमलाती...

वीर तुम बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!   हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे ध्वज कभी झुके नहीं दल...

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केशर की, कलि की पिचकारी

केशर की, कलि की पिचकारीः पात-पात...

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियों। श्रवण...

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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप...

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अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी

हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं...

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भारत महिमा

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे...

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